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भारतीय नागरिक मनुष्य समाज में रहता है l
हम सभी कि दिनचर्या प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में एक दुसरे से जूडी हुयी
है l फिर वह कोई भी जाती, धर्म, पंथ, प्रांत,भाषा, पेहराव से जूडा हुआ हो l और इसका सुंदर उदाहरण यह है की,
हम आज भी बाजार में जब सब्जी – फल ई. वस्तू खरिदनें जाते है तो, यह दुकान मेरे जाती के लोगों की है, इसलिए हम इससे ही खरिदेंगे,या फिर यह इन्सान हमारे धर्म का है,
तो इसलिए हम इससे ही सामान खरिदेंगे यह भाव हमारे मन में उत्पन्न नही होता है l ऐसे वक्त हम सब भारतीय नागरिक के रूप मे और भाव में बाजार में होते है l और यह एक बहोतही अच्छी और नेक बात है जो हम भारतीय नागरिकों के मन मे बसी हुयी है l बस हमारे इसी संविधानिक भाव को तोडने का षडयंत्र हमारे देश में कुछ लोगोंने, संघटन, संस्थाओं ने रचा है,
जो हमें मंजूर नहीं l
क्योंकी,
हम सब संविधानिक भारतीय नागरिक एक ही धरती का अनाज खाते हे l
हम सब भारतीय नागरिक एक ही जल स्रोत का पाणी पिते है l
हम सब भारतीय नागरिक एक ही वायुमंडल की हवा में सांस लेते है l
हम सब भारतीय नागरिक एक ही सूरज से उर्जा प्राप्त करते है l
हम सब भारतीय नागरिक एक ही चांद का शितल प्रकाश पाते है l
हम सब भारतीय नागरिकों के खून का रंग भी तो एक ही है l
फिर हम क्यों विभिन्न जातीयों में बंटे हुये है ?
फिर हम क्यों विभिन्न धर्मों में बंटे हुये है ?
फिर हम क्यों विभिन्न पेहरावों में बंटे हुये है ?
जब लडकी हो या लडका जन्म लेते है, तो वह कोई भी जात, धर्म, पंथ, भाषा, प्रांत वाले माॅ बाप के हो सब एक जैसे ही जन्म लेते है l
कोई दाढी बढाकर जन्म नहीं लेता l
कोई बुरखा पहनकर जन्म नहीं लेती l
कोई जनेऊ पहनकर जन्म नहीं लेता l
कोई माथेपर भगवा तिलक लगाकर जन्म नहीं लेता l कोई सिर पे पगडी बांधकर जन्म नहीं लेता l
इन्सान जब जन्म लेता है, तो वह एक ही रूप में जन्म लेता है l
तब उसे कहा मालूम होती है उसकी जाती ?
तब उसे कहा पता होता है उसका धर्म? पंथ, प्रांत, भाषा ? बस हम उसे जाती, धर्म, पंथ, भाषा, प्रांत का
बहुरूपिया बना देते है l
जो इन्सान और इन्सानियत के लिए खतरा है l
इसलिए भाईयों,
संविधानिक भारतीय नागरिक बनकर देश को बचाओ l धर्मांध बनकर, नफरत फैलाकर
देश ना तोडो l
✍🏻✍🏻 🙏🙏